की ईक्विटी पूंजी से दिनांक 12 जुलाई, 1999 को हुई थी ।
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यह एक प्रकार का ऋण है जो स्वतऋ शेयर में बदल जाएगा यदि बैंक के ईक्विटी पूंजी की गुंजाइश 5% से नीचे गिर जाती है.
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डॉ. रेड्डी का कहना था कि वैश्विक वित्तीय बाजार में मौजूदा संकट का मुख्य कारण यही है कि विकसित देशों में वित्तीय संस्थाओं पर इस बात का दबाव बना रहता है कि वे अपनी ईक्विटी पूंजी कम से कम कर जमाकर्ताओं के धन से कारोबार करे।